Thursday, July 24, 2014

GTET Admit Card 2014 to be released ojas.guj.nic.in



GTET Admit Card 2014 to be released



 



Gandhi Nagar, July 12 :Gujarat school education board which is scheduled to conduct Gujarat TET 2014 on 20th July is expected to release the GTET 2014 admit card during second week of this month.
Candidates who appear for GTET 2014 may download the admit card in the following official website at http://ojas.guj.nic.in

To download the GTET 2014 admit card, candidates may follow the below steps:
Log on to the official website at http://ojas.guj.nic.in
Visit admit card section.
Click the link titled as GTET 2014 admit card.
Enter reg no and other details as instructed.
Submit the entered data.
GTET 2014 admit card will appear on the screen.
Candidates are suggested to take a printout of their admit card .
Gujarat State Examination Board earlier released a notification to conduct GTET 2014 and invited candidates to apply for the eligibility test. Applications were accepted from eligible candidates who applied in the prescribed format through online mode.
A large number of candidates who applied for GTET 2014 are now eagerly waiting for the release of the admit card.
Note
Candidates appearing for the exam should have their admit card along with a valid ID proof. In the absence of admit card, candidates will not be allowed to write the exam.
Use of mobile phones in the exam hall  is strictly prohibited.
Candidates should check whether the details given in the admit card are printed appropriately. Any error in the admit card should be brought to the notice of the concerned authority immediately. Late notification will not be accepted and may also  result in elimination of candidature.



Monday, July 21, 2014

सी टी ई टी / टी ई टी से छूट (CTET / TET Relaxation)

सी टी ई टी / टी ई टी से छूट (CTET / TET Relaxation)
CTET, TEACHER ELIGIBILITY TEST (TET), NCTE, RTE, UPTET, HTET, JTET / Jharkhand TET, OTET / Odisha TET  ,
Rajasthan TETRTETBETET / Bihar TET,   PSTET / Punjab State Teacher Eligibility Test, West Bengal TET / WBTET, MPTET / Madhya Pradesh TET, ASSAM TET / ATET
, UTET / Uttrakhand TET , GTET / Gujarat TET , TNTET / Tamilnadu TET , APTET / Andhra Pradesh TET , CGTET / Chattisgarh TET, HPTET / Himachal Pradesh TET
\
No relaxation from TET ( Teacher Eligblity Test) is Possible
सी टी ई टी / टी ई टी से छूट तो स्वयं कोर्ट भी नहीं दे सकती , क्यूंकि आर टी ई एक्ट संविधान का एक हिस्सा है ,
और केंद्र सरकार के गजट नोटिफिकेशन में प्रकाशित है ।
अब यह छूट संविधान में परिवर्तन के तहत ही मिल पाएगी
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मेरा कहना है की आर टी ई एक्ट के तहत शिक्षक बनने के लिए टी ई टी / सी टी ई टी से छूट किसी को नहीं अगर समुचित मात्रा में योग्य टी ई टी
पास शिक्षक उपलब्ध है तो ।

अभी हाल ही में नैनीताल हाई कोर्ट ने निर्णय दिया है की टी ई टी से छूट तो एन सी टी ई और उत्तरांचल राज्य सरकार भी नहीं दे सकती ,

उत्तर प्रदेश में भी दो बार ट्रिपल बेंच बैठ चुकी है जिसमें एक ट्रिपल बेंच ( तीन जजों की बेंच) खास तोर से टी ई टी में छूट देने के सन्दर्भ में बनाई गयी थी ।
जिसमें साफ़ किया गया की टी ई टी से छूट संभव नहीं
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यह न्यूज़ थोड़ा सा घुमा करके लिखी गयी है ,

सीटैट के बगैर भी बन सकेंगे शिक्षक 

केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटैट) पास किए बगैर भी आप शिक्षक बन सकते है। केंद्रीय प्रशासनिक पंचाट (कैट) ने शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए केंद्र व दिल्ली सरकार से शिक्षक नियुक्ति में सीटैट की अनिवार्यता में छूट देने का निर्देश दिया है। पंचाट ने सरकार से सीटैट की जगह अनुभव को तरजीह देने का निर्देश दिया है।

पंचाट के न्यायिक सदस्य ए.के. भारद्वाज और बिरेंद्र कुमार की पीठ ने यह आदेश सीटैट की योग्यता नहीं होने की वजह से नौकरी से निकाले गए ठेका पर कार्यरत शिक्षकों की ओर से दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए दिया है। पीठ ने अपने फैसले में शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा-23 का हवाला देते हुए कहा है कि प्रशिक्षित शिक्षकों के अभाव में केंद्र सरकार अधिसूचना जारी कर शिक्षकों की नियुक्ति में शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने की अनिवार्यता में छूट दे सकती है

पीठ ने सरकार से सभी याचिकाकर्ताओं को दोबारा नौकरी देने पर विचार करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि केंद्रीय प्रशासनिक पंचाट में केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों में नियुक्ति, प्रमोशन एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई से संबंधित विवादों का निपटारा किया जाता है

News Source / Sabhaar : 21.07.2014
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कॉन्ट्रैक्ट / ठेका कर्मियों को बगैर टेट हटाया जा रहा था और उसके बारे में केंद्र सरकार  की ट्रिब्यूनल कोर्ट ने निर्णय दिया है , अगर
प्रशिक्षित (टेट पास ) कर्मी नहीं मिलते है , तो अप्रशिक्षितों से काम चलाया जा सकता है ।
हिंदुस्तान  में बहुत सारे विभागों के अपनी कोर्ट स्वयं होती है , जिस से वह जल्द फैसले दे कर काम काज में आ रही बाधा को हटा सकें ,
ऐसे ही केंद्र सरकार ने केंद्रीय प्रसाशनिक प्राधिकरण  ( सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल ) बना रखी है ।

संविधान के तहत न्याय पाने के लिए उस से ऊपर हाई कोर्ट , फिर सुप्रीम कोर्ट है

अगर मेरी बात में कहीं गलती हो, तो कमेंट' के माद्यम से गलती बताएं  व उसको सुधारें

धन्यवाद

Saturday, June 21, 2014

Supreme Court Says Vidhya Sahayak (Helper) as Enemy of Education

Supreme Court Says Vidhya Sahayak (Helper) as Enemy of Education

Hearing is still incomplete, And next hearing is on : 23/09/2014

As per news spread on Internet is :-

Only trained teachers should teach in schools: SC

Shiksha Shatru; SC slams ad hoc appointment of teachers



Appointment of teachers in primary schools on ad hoc basis by various state governments without following proper qualification criteria on Monday drew flak from the Supreme Court which said that such policies are spoiling the entire education system and future of the country.

A bench of justices B.S. Chauhan and Dipak Misra expressed strong disapproval of such a system and said it was “shocking” that it can be pursued even after the implementation of Right to Education Act.

“A populist principality cannot spoil the future of the country. We want to know qualification of teachers,” the bench said while hearing Gujarat government’s plea on a case pertaining to appointment of “Vidya Sahayak” in primary schools in the state.

“How do you bring such policies when there is Article 21A. It is shocking. There are such appointments in Uttar Pradesh also.

These Shiksha Sahayaks (helpers) are Shiksha shatrus (enemies),” the bench observed asking the state government to place details relating to qualification and appointment of such teachers.

The bench noted that ad-hoc appointment of primary teachers are done in many states which provide them less than one-forth salary given to regular teachers.

“Once we have implemented Article 21A, can we allow such system? Our concern is quality of education and we are very serious about the kind of education we are imparting,” the bench said adding, “We spoil the entire education system by appointing ad-hoc teachers who do not have proper qualification”.



Case Details : -

                                                            SECTION. IX
                         IN THE SUPREME COURT OF INDIA



Petition(s) for Special Leave to Appeal (Civil) No(s).18136/2013

(From the judgement and order dated 18/04/2013 in  LPA No. 60/2013 & SCA
No.
 12267/2011  of The HIGH COURT OF GUJARAT AT AHMEDABAD)

STATE OF GUJARAT AND ANR                             Petitioner(s)

                             VERSUS

PARMAR MAHESHKUMAR PUNJABHAI AND ORS                 Respondent(s)



                             OFFICE REPORT
The matter above-mentioned was listed before the Hon'ble Court on 22nd  May,
2013, when the Court was pleased to pass the following Order:-
"List the matter on Monday, the 27th May, 2013"

      It is submitted for the information of the Counsel for the  Petitioner
has filed additional documents along with an application for  permission  to
filed additional document which are  being  circulated  before  the  Hon'ble
Court.
      Dated this the 24th day of May, 2013.

ASSISTANT REGISTRAR

Source : http://courtnic.nic.in/supremecourt/temp/sc%2018136rpt.txt

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SUPREME COURT VIDHYA SAHAYAK CASE DETAILS




Next Date of Listing    23/09/2014




Saturday, May 10, 2014

Visit of Amazing / Funny Information - http://7joke.blogspot.com

Happy Mothers Day / मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें




मम्मा कितनी प्यारी होती,
जग में  सबसे  न्यारी होती.

सबसे  पहले  वह  उठ जाती,
मुझे जगा कर ब्रुश करवाती.
ब्रेकफास्ट मुझ को करवाकर,
फिर  स्कूल   छोड़ने   जाती.

आने पर स्कूल से माँ को
सारी  बातें  मैं  बतलाता.
मम्मी से स्टोरी सुनकर,
दुपहर को सोने मैं जाता.

माँ के साथ शाम को जाता,
और पार्क में  बॉल  खेलता.
रोज नये वो  खेल सिखाती,
जिनको सब के साथ खेलता.

मेरी मम्मा बहुत है अच्छी,
नयी  कहानी रोज  सुनाती.
उनकी बांहों पर सिर रखकर, 
मुझको है निन्ना आ जाती.

क्या  हम  छोटे  बच्चे करते,
गर मम्मा का साथ न होता.
जीवन  कितना  सूना  होता,
गर मम्मा का प्यार न होता********

माँ 
माँ तू आंगन मैं किलकारी,
माँ ममता की तुम फुलवारी।
सब पर छिड़के जान,
माँ तू बहुत महान।।

दुनिया का दरसन करवाया,
कैसे बात करें बतलाया।
दिया गुरु का ज्ञान,
माँ तू बहुत महान।।

मैं तेरी काया का टुकड़ा,
मुझको तेरा भाता मुखड़ा।
दिया है जीवनदान,
माँ तू बहुत महान।।

कैसे तेरा कर्ज चुकाऊं,
मैं तो अपना फर्ज निभाऊं।
तुझ पर मैं कुर्बान,
माँ तू बहुत महान।।

 

Kavita By -
-दीनदयाल शर्मा,
बाल साहित्यकार
10/22 आर.एच.बी. कॉलोनी,
हनुमानगढ़ जंक्शन-335512
राजस्थान, भारत

***********************************

हे  माँ ! हे माँ !
तेरे जैसा कोई नहीं !

तुम हमारे साथ   होती हो
जब हम उदास होते हैं ;
तुम अपनी मीठी  मुस्कान  से
हमें  प्रसन्न  कर देती हो ;
तुम कितनी प्यारी हो !
हमारे दिल की धड़कन हो !

हे माँ ! हे माँ !
तेरे जैसा कोई नहीं !
तुम हमेशा कहती हो आशा
का दामन  मत छोडो ;
जब हम भ्रमित होते हैं
तुम सही मार्ग दिखाती हो ;
तुम दीर्घजीवी हो !स्वस्थ हो !
शक्तिसंपन्न हो !

हे माँ ! हे माँ ! तेरे जैसा कोई नहीं !

                        शिखा कौशिक



 
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Happy Mothers Day / मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें




मम्मा कितनी प्यारी होती,
जग में  सबसे  न्यारी होती.

सबसे  पहले  वह  उठ जाती,
मुझे जगा कर ब्रुश करवाती.
ब्रेकफास्ट मुझ को करवाकर,
फिर  स्कूल   छोड़ने   जाती.

आने पर स्कूल से माँ को
सारी  बातें  मैं  बतलाता.
मम्मी से स्टोरी सुनकर,
दुपहर को सोने मैं जाता.

माँ के साथ शाम को जाता,
और पार्क में  बॉल  खेलता.
रोज नये वो  खेल सिखाती,
जिनको सब के साथ खेलता.

मेरी मम्मा बहुत है अच्छी,
नयी  कहानी रोज  सुनाती.
उनकी बांहों पर सिर रखकर, 
मुझको है निन्ना आ जाती.

क्या  हम  छोटे  बच्चे करते,
गर मम्मा का साथ न होता.
जीवन  कितना  सूना  होता,
गर मम्मा का प्यार न होता********

माँ 
माँ तू आंगन मैं किलकारी,
माँ ममता की तुम फुलवारी।
सब पर छिड़के जान,
माँ तू बहुत महान।।

दुनिया का दरसन करवाया,
कैसे बात करें बतलाया।
दिया गुरु का ज्ञान,
माँ तू बहुत महान।।

मैं तेरी काया का टुकड़ा,
मुझको तेरा भाता मुखड़ा।
दिया है जीवनदान,
माँ तू बहुत महान।।

कैसे तेरा कर्ज चुकाऊं,
मैं तो अपना फर्ज निभाऊं।
तुझ पर मैं कुर्बान,
माँ तू बहुत महान।।

 

Kavita By -
-दीनदयाल शर्मा,
बाल साहित्यकार
10/22 आर.एच.बी. कॉलोनी,
हनुमानगढ़ जंक्शन-335512
राजस्थान, भारत

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हे  माँ ! हे माँ !
तेरे जैसा कोई नहीं !

तुम हमारे साथ   होती हो
जब हम उदास होते हैं ;
तुम अपनी मीठी  मुस्कान  से
हमें  प्रसन्न  कर देती हो ;
तुम कितनी प्यारी हो !
हमारे दिल की धड़कन हो !

हे माँ ! हे माँ !
तेरे जैसा कोई नहीं !
तुम हमेशा कहती हो आशा
का दामन  मत छोडो ;
जब हम भ्रमित होते हैं
तुम सही मार्ग दिखाती हो ;
तुम दीर्घजीवी हो !स्वस्थ हो !
शक्तिसंपन्न हो !

हे माँ ! हे माँ ! तेरे जैसा कोई नहीं !

                        शिखा कौशिक



 

Sunday, April 27, 2014

RTE ACT NEWS : RIGHT TO EDUCATION ACT IMPLEMENTATION FAILURE

RTE ACT NEWS : RIGHT TO EDUCATION ACT IMPLEMENTATION FAILURE
Various News of RTE Act and Its Implementation in India :-



जागरूकता के अभाव में परवान नहीं चढ़ा आरटीई
RTE did not go through due to lack of awareness
नागौर।जरूरतमंद एवं असहाय बच्चों को निजी स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश देकर अच्छी शिक्षा देने के लिए वर्ष 2010 में लागू किया गया शिक्षा का अधिकार अधिनियम उदासीनता के चलते परवान नहीं चढ़ पाया है। एक्ट को लागू किए हुए चार वर्ष पूरे हो रहे हैं, लेकिन आज भी इसकी स्थिति संतोषजनक नहीं है।


आरटीई के नियमों में पेचिदगियां इतनी है कि खुद अधिकारी भी समझ नहीं पाए हैं। आरटीई एक्ट को लेकर जागरूकता नहीं होने का परिणाम यह है कि जिले में 1600 से अधिक निजी स्कूलों के 10 हजार बच्चों को भी नि:शुल्क प्रवेश नहीं मिल रहा है, जबकि हर स्कूल को पहली कक्षा में 25 प्रतिशत बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश देना अनिवार्य है। नियमानुसार कोई भी व्यक्ति, जिसकी मासिक आय 20 हजार 700 रूपए तक है, अपने बच्चे को क्षेत्र के निजी स्कूल में नि:शुल्क प्रवेश दिला सकता है। जहां उसके बच्चे को नि:शुल्क शिक्षण के साथ किताबें, स्कूल यूनिफॉर्म आदि भी फ्री दिए जाने हैं।

नियमावली स्पष्ट नहीं
आरटीई एक्ट की नियमावली खुद शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए पहेली बनी हुई है। निजी स्कूल जरूरतमंद बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश तो दे रहे हैं, लेकिन नियमों को लेकर गफलत होने से पुनर्भरण राशि नहीं मिल रही है। यह विडम्बना ही है कि आरटीई के एपीसी का पद साल भर से रिक्त है। जिले की स्थिति यह है कि निजी स्कूलों के संस्था प्रधानों को नियमों के मकड़जाल में फंसा रखा है। पुनर्भरण में भी अधिकारी अपनी मनमर्जी चला रहे हैं। - विनेश शर्मा, सचिव, निजी स्कूल एसोसिएशन, नागौर


नियमों की जटिलता बनी बाधक

एक्ट के नियमों की जटिलताओं का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि निजी स्कूलों द्वारा पुनर्भरण राशि के लिए पेश किए गए आवेदनों में से आधे तो ब्लॉक अधिकारियों के भौतिक सत्यापन में फर्जी घोषित हो रहे हैं।
एक्ट के अनुसार नि:शुल्क प्रवेश में वार्ड के बच्चे को वरियता दी जानी है। इसके बावजूद पूरे प्रवेश नहीं हो तो दूसरे वार्ड के बच्चों को प्रवेश दिया जाना चाहिए। इस वर्ष ऑनलाइन व्यवस्था होने से नि:शुल्क प्रवेश में स्कूल व बच्चे का वार्ड बदलते ही प्रवेश निरस्त मान लिया गया है। हाईकोर्ट के आदेश हैं कि किसी भी बच्चे को नि:शुल्क प्रवेश देकर बाहर नहीं निकाल सकते।


सरकार ने शिक्षण शुल्क, किताबें, यूनिफॉर्म व बस किराया मिलाकर पुनर्भरण की फीस 11 हजार 900 रूपए तय किए। इसके बाद शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों से शिक्षण शुल्क की जानकारी मांगी, स्कूलों ने भी केवल शिक्षण शुल्क की जानकारी दे दी। अब उन्हें पुनर्भरण का भुगतान भी मात्र शिक्षण शुल्क का ही हो रहा है, जबकि किताबें, यूनिफॉर्म व बस किराया भी देना चाहिए। इसी गफलत में बच्चों को बाकी का खर्चा उठाना पड़ रहा है

News Source / Sabhaar : rajasthanpatrika.patrika.com (26.04.2014/ Sat, 26 Apr 2014 01:48:06)
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PIL: Rajasthan failed to implement RTE properly

 RTE properly|Rajasthan|PIL|
RELATED
JAIPUR: The Rajasthan High Court has issued a notice to the state government on the tardy implementation of the Right of Children to Free and Compulsory Education (RTE) Act in the state.

A bench of Justice Ajay Rastogi and Justice J K Ranka issued the notice on a PIL filed by Prof Rajiv Gupta and others. The government was asked to respond within four weeks. According to petitioner's counsel Pratik Kasliwal, the RTE Act came into force in April 2010 and a three-year time was given to all schools to improve basic infrastructure. However, even after three years, most of the schools are lacking basic infrastructure.

Also, all the aided and unaided private schools are under obligation to provide 25% reservation to children belonging to weaker sections and disadvantaged groups by virtue of Section 12 of RTE Act, 2009. Here too the state government failed to fulfill its legal duties properly, it was pointed out. The petition claims that the state government had failed to give wide interpretation to the term "children belonging to disadvantaged groups" as it only includes children of SC/ST/group having less than Rs 2.5 lakh annual income.

"There are many others like street kids, migrants, children in conflict regions, children of manual scavengers, sex workers and even those girls of upper caste and majority religion(s) who are not allowed to undergo education due to conservatism, patriarchy and orthodox beliefs, who are facing serious disadvantages too."


The state government vide notification dated March 29, 2011 specified the category of "children belonging to disadvantaged groups" but did not include the above categories of children, which is essential if the spirit of inclusiveness embedded in the RTE Act has to be followed.

The petition pointed out that the state government had failed to provide free pre-school education which would create a strong foundation for the children belonging to weaker sections and disadvantaged groups in order to stand at par with other children of same age group.

It pleaded the court to ensure that schools which have pre-school education and are making fresh admission in pre-primary and Class 1 will have to conform to 25% reservation at all levels wherever fresh admissions are there. The admission process by lottery system should be conducted in front of all parents who have applied for such admission and in the presence of a functionary of the education department among others, it demanded.

News Source : http://timesofindia.indiatimes.com (24.04.2014) / P J Joychen,TNN | Apr 24, 2014, 03.18 AM IST
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Only 4% EWS parents aware of reservation under RTE Act: Study


The report was released at a Delhi state-wide conference on the Right to Education Act by Indus Action — an NGO.


Only four per cent of parents from economically weaker sections (EWS) are aware about the availability of 25 per cent seats under EWS category in the capital’s private schools, under the RTE Act, a study has shown.
The study also found that only half of these four per cent parents have managed to navigate through bureaucratic and psychological barriers to apply.
The report was released at a Delhi state-wide conference on the Right to Education Act by Indus Action — an NGO working exclusively towards implementation of Section 12(1)(C) clause of the RTE Act — with support from Central Square Foundation.
“The Right to Education has opened up many opportunities for children from economically weaker sections. Yet, despite the best efforts to spread awareness, eligible families seem to have little knowledge about the policy. Section 12(1)(c) of RTE Act has the potential to put roughly 10 million children across India on a different path in the next five years, making it the single largest opportunity seat scheme in the world. But we need a better state-wide implementation plan for that to happen,” Tarun Cherukuri, founder, Indus Action, said.
The report details on-ground implementation of the mandatory 25 per cent reservation for EWS children and those who are socially disadvantaged. It is based on responses from 350-odd families in South, Southeast, Southwest, North, Northeast and Central Delhi.
Section 12(1)(c) of the RTE Act mandates that private unaided schools reserve 25 per cent of their seats in entry-level classes for EWS students and those from disadvantaged groups.
Even though awareness levels are low, the report states that eligible families were adequately equipped to apply.
“ 94.8 per cent people had at least one of the birth proof certificates. 96.85 per cent people had at least one of the accepted documents for address proof. And 82.8 per cent people had at least one of the accepted documents for proof of income,” the report states.
Yet, families chose not to apply, with the exception of four per cent families who did — high fees being a major concern discouraging them from applying to private schools.
The report notes that families did not approach government officials for information, relying instead on help from other families ( 29 per cent) and employers (28 per cent)
News Source : indianexpress.com (26.04.2014)
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RTE कोटे से ऑनलाइन ऐडमिशन का हुआ आगाज
Apr 11, 2014, 08.30AM IST
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मुंबई:ऑनलाइन ऐडमिशन के जरिए भले ही सरकार गरीब वर्ग के बच्चों को शिक्षण सुविधा मुफ्त में देने की बात कही है पर, व्यावहारिक तौर पर देखें तो मुंबई स्थित 304 स्कूलों में से पंजिकृत हुए 282 स्कूलों में बच्चों को ऐडमिशन मिलना किसी चुनौती से कम नहीं है। अभिभावकों का आरोप है कि राइट टू एजुकेशन (RTE) के तहत जब स्कूलों में आवेदन करते हैं, तो अधिकतर स्कूल्स द्वारा उनके बेवसाइट पर RTE के बारे में कुछ जानकारी ही उपलब्ध नहीं है। इसके चलते अभिभावकों में उलझन हैं। इसके चलते ऑनलाइन ऐडमिशन का पहला दिन ही अभिभावकों के लिए परेशानी भरा रहा। गौरतलब है कि RTE को लेकर बीएमसी और शिक्षण विभाग में अनबन चल रही है। इस वजह से RTE के मुद्दे पर दोनों विभाग एक दूसरे पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए आधिकारिक बयान से देने से कन्नी काट रहे हैं। 8 हजार सीटें के लिए 30 अप्रैल तक आवेदन किया जा सकता है। इस बाबत अनुदानित शिक्षा बचाव समिति के अध्यक्ष एस. एम. परांजपे द्वारा बीएमसी शिक्षणाधिकारी शुभांगी जोग से मुलाकात करने की बात समिति ने कही है।
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पंजिकृत स्कूल: 282
हेल्प सेंटर्स:26
क्लास: नर्सरी, केजी, फर्स्ट क्लास

News Source / Sabhar : economictimes.indiatimes.com (11.04.2014)

Friday, April 11, 2014

SC seeks response of Centre, states on violation of Right to Education Act

SC seeks response of Centre, states on violation of Right to Education Act

RIGHT TO EDUCATION ACT / TEACHER ELIGIBILITY TEST INDIA / NCTE GUIDELINES
 

Petition asked the states and the UTs to recruit and train one lakh additional professionally trained teachers every month.
   
The PIL, filed by the National Coalition for Education — a network of organisations fighting for the RTE — said at least 1.5 lakh schools and 12 lakh trained teachers were required to fulfill the goals envisaged under the RTE.

 It sought a direction that "the states and UTs upgrade all deficient schools with appropriate physical infrastructure so as to be in compliance with the RTE Act within six months.

"The states and UTs regularise and make permanent all contract and para-teachers in the country," it said. The petition also said the states and UTs should disclose the number of students admitted under the Economically Weaker Section (EWS) quota in the state in accordance with the provisions of the Act. 


 
A bench headed by Chief Justice P Sathasivam issued notice and sought their response after summer vacation on a plea filed by an organisation, National Coalition for Education.
  
The plea said lack of resources and failure to implement provisions of the RTE Act has resulted in a significant decline in education performance.
  
Senior advocate Colin Gonsalves sought a direction to all the states to complete the required neighbourhood mapping within six months and new schools be constructed six months after completion of the process.
  
The petition asked the states and UTs to recruit and train one lakh additional professionally trained teachers to end the shortage of educators within a year.
  
It sought a direction that "the states and UTs upgrade all deficient schools with appropriate physical infrastructure so as to be in compliance with the RTE Act within six months.
  
"The states and UTs regularise and make permanent all contract and para-teachers in the country," it said.
  
The petition also said the states and UTs should disclose the number of students admitted under the Economically Weaker Section (EWS) quota in the state in accordance with the provisions of the Act.
  
"Based on the aforementioned facts, it is clear that the Right to Education is being violated across the country. These violations have persisted for years and remain today in face of the RTE Act's requirement that they be remedied within three years of it coming into force.
  
"And more troubling, they persist despite widespread awareness of their existence by various responsible governments and authorities and in the face of previous orders from this court on October 3, 2012 to remedy them," it said